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Showing posts from February, 2024

8 बजे से पहले सूर्य देव को जल चढ़ाने के 10 लाभ एवं सही विधि

पृथ्वी में उपस्थित प्रत्येक जीव और प्राणी का सूर्य से एक घनिष्ठ संबंध होता है। सूर्य के तेज से हमें रोशनी दिखाई पड़ती है तथा उन्हीं के प्रकाश से हम, चंद्रमा की चांदनी और दीपक का प्रकाश देखने में समर्थ होते हैं। सूर्य की किरणों से ही पेड़ पौधे जीवित हैं और उनके जीवित होने के कारण प्रत्येक प्राणी श्वास ले पा रहा है। इतना ही नहीं, पृथ्वी का प्रकाट्य भी सूर्य के तेज से ही हुआ है। यदि सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंचे, तो पूरा संसार रूक जाएगा चारों तरफ अंधकार छाने लगेगा और सृष्टि का विनाश हो जाएगा। पृथ्वी को प्रकाश प्रदान करने के लिए हमें सूर्य देव का आभार प्रकट करना चाहिए, क्योंकि वह नि:स्वार्थ भाव से बिना रुके युगों-युगों से प्रकृति के संतुलन के लिए प्रकाश तथा तेज प्रदान कर रहे हैं, जिसके कारण ही आज हम और आप इस संसार में जीवन यापन कर पा रहे हैं। उनका आभार प्रकट करने के लिए हमें केवल सूर्योदय के उपरांत उन्हें जल चढ़ाना चाहिए, जिसका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है।    सूर्य को अर्घ्य देने की सही विधि   सूर्य देव को अर्घ्य देने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं, साथ ही यह...

The Religious Significance of Annaprashan Ceremony in Hinduism

In Sanatan Dharma, there are 16 sanskaar dedicated to the different life stages of a human being. The ancient scriptures explain the significance of celebrating each stage of life through Vedic rituals to honor the achievements unlocked at various stages of life. In the entire life cycle of a human being, four sanskaars are performed before the birth, eleven sanskaars after the birth, and one after a person's death. Out of the 11 sanskaars that are significant during the life of an individual, Annaprashan is the one that represents the transition of a baby to a toddler. The word Annaprashan is made of two Sanskrit words - Anna and Prashan. Anna means 'food,' and Prashan means to consume. The Annaprashan ceremony signifies that the baby is ready to consume solid food products and is celebrated as a significant milestone in life.   Religious Significance of Annaprashan Ceremony  In an Annaprashan ceremony, the baby is fed a rice-based dish (solid food) for the first time. A...

Physical Fitness Trend 2024: Exploring Biohacking and its Benefits

One of the fitness trends that is going to sweep 2024 by storm is biohacking. While the term has gained popularity in recent times, biohacking has been a significant part of our lives ever since people have become conscious about enhancing their physiological limits. To understand it better, here is a brief example. Do you remember when we were kids and got cranky, our mothers used to put us to bed for a sound sleep? Yes, she put us to bed for some quiet time for herself, but there's more than meets the eye. Well, sleep improves functional emotion-regulating behavior, makes kids (even adults!) less sensitive to external emotional stimuli, reduces stress, and prevents them from risk of heart disease. For many, afternoon sleep was a daily routine to be followed after coming back from school. This routine is one of the classic examples of biohacking where, by putting us to bed, mothers caused a shift in our physiology and improved our physiological health. It is a time-tested techniqu...

Basant Panchami 2024: ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती माता की पूजन विधि

ज्ञान ही एक ऐसा शस्त्र है, जिससे व्यक्ति पूरी दुनिया में विजय पा सकता है। ज्ञान का प्रकाश पूरे संसार को अंधकार से रोशनी प्रदान करता है। जीवन के प्रत्येक मोड़ पर केवल ज्ञान की हमारा सहारा होता है, लेकिन इसका प्रकाश प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर नहीं पड़ता है, क्योंकि ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती माता हैं और केवल उन्हीं की कृपा से अज्ञानता का विनाश होता है और व्यक्ति का जीवन ज्ञान रूपी प्रकाश से भर जाता है। सरस्वती माता की कृपा के लिए किसी भी दिन भक्तियुक्त होकर उनकी उपासना कर सकते हैं, लेकिन माता की विशेष कृपा पाने के लिए बसन्त पंचमी के दिन उनकी उपासना करनी चाहिए। क्योंकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सरस्वती माता का आविर्भाव हुआ था। इस विशेष अवसर पर समस्त विद्यार्थी, शिक्षक एवं भक्तजन माता की पूजा अर्चना करते हैं और बौद्धिक विकास का आशीर्वाद माता से पाते हैं।   बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की पूजा क्यों की जाती है?  माघ मास की शुक्ल पंचमी को बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है, जिसे बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता सरस्वती ब्रह्म देव क...